विक्रय संवर्धन क्या है | विक्रय संवर्धन की परिभाषा| विक्रय संवर्धन का महत्त्व | विक्रय संवर्धन की विशेषता | विक्रय संवर्धन की विधियां

 विक्रय संवर्द्धन का आशय विक्रय वृद्धि के लिये की जाने वाली अनियमित क्रियाओं से है। आज का बाजार क्रेता का बाजार है। बाजार में वस्तुएँ विभिन्न डिजाइनों रंगों, किस्मों में उपलब्ध है। एक ही वस्तु की कई स्थानापन्न वस्तुयें भी बाजार में उपलब्ध है। बाजार में गला काट प्रतिस्पर्धा है व विक्रेताओं एवं वस्तुओं की बहुतायत है। इन परिस्थितियों में विक्रय वृद्धि हेतु विभिन्न साधनों यथा विज्ञापन व्यक्तिगत विक्रय एवं विक्रय संवर्द्धन का उपयोग किया जाता है।

 

 


vikray samvardhan kya hai | vikray samvardhan ki paribhasha | vikray samvardhan ka mahatva | vikray samvardhan ki visheshta | विक्रय संवर्धन की विधियां
विक्रय संवर्धन क्या है


    विक्रय संवर्धन क्या है :


    विक्रय संबर्द्धन का अर्थ एवं परिभाषा विक्रय अभिप्राय क्रेताओं को वस्तु अथवा सेवाओं को लघु अवधि में तुरन्त क्रय करने के लिये प्रेरित करने से है। विक्रम संवर्द्धन का शाब्दिक अर्थ किसी वस्तु या या सेवा की बिक्री में वृद्धि करने से है। संकुचित अर्थ में विक्रम संवर्द्धन का आशय ऐसी क्रियाओं से है जो वैयक्तिक विक्रय में है। विस्तृत अर्थ में क्रियाओं से अर्थ में विक्रय संवर्द्धन का आशय उन समस्ता से है जो जो विक्रय वृद्धि के लिये लिय में सहायक होती जाती है। इस दृष्टि से विक्रम संवर्द्धन में विज्ञापन, व्यक्तिगत विक्रम, उत्पादों में नवीनता लाना, विपणन प्रणालियों में सुधार विभिन्न प्रतियोगिताएं आदि सभी शामिल है। विशिष्ट अर्थ में विक्रय संवर्द्धन विज्ञापन, वैयक्तिक विक्रय तथा प्रचार को छोड़कर विक्रय वृद्धि के लिये की जाने वाली अनियमित क्रियायें शामिल है। कुछ विद्वानों ने विक्रय संवर्द्धन को इस प्रकार से परिभाषित किया है :-

    विक्रय संवर्धन की परिभाषा 



    अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार, विक्रय संवर्द्धन में वैयक्तिक विक्रय, विज्ञापन एवं प्रकाशन के अलावा ये समस्त अनियमित क्रियायें, जैसे प्रदर्शन, दिखावा एवं प्रदर्शनी, क्रियात्मक प्रदर्शन आदि सम्मिलित की जाती है जो उपभोक्ता की क्रय शक्ति तथा विक्रेता की प्रभावशीलता को प्रोत्साहित करती है।"

    विलियम जे स्टेन्टन के अनुसार विक्रय संवर्द्धन से आशय विज्ञापन, वैयक्तिक विक्रय एवं प्रचार के अतिरिक्त उन संवर्द्धनात्मक क्रियाओं से है जो ग्राहक की मांग को प्रोत्साहित करने तथा मध्यस्थों के विपणन निष्पादन में सुधार करने के उद्देश्य से की जाता है।

    जार्ज डब्ल्यू हापकिन्स अनुसार है विज्ञापन एवं विक्रय प्रक्रियाओं को प्रभावशाली बनाने के लिये जिन संगठित प्रयासों की सहायता ली जाती है उन्हें विक्रय संवर्द्धन कहते हैं।

    निष्कर्ष :


    विक्रय संवर्द्धन की उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते है कि विक्रय संवर्द्धन में केवल वे ही क्रियायें सम्मिलित है जो फर्म की बिक्री को बढ़ावा देने के लिये कम अवधि के प्रोत्साहन के लिये की जाती है। ये विक्रय प्रयास अनियमित होते हैं जो उपभोक्ताओं को अधिक क्रय करने तथा व्यापारी को अधिक प्रभावपूर्ण तरीके से वस्तुओं का विक्रय करने के लिये प्रेरित करती है। इसमें विज्ञापन वैयक्तिक विक्रय तथा प्रकाशन सम्मिलित नहीं होते है।



    विक्रय संवर्द्धन का महत्व / विक्रय संवर्धन की विशेषता -



    विक्रय संवर्द्धन उपभोक्ताओं, निर्माताओं व्यापारियों एवं समाज के लिये लाभदायक है। यह विज्ञापन एवं वैयक्तिक विक्रय के बीच की दूरी को कम करके उन्हें प्रभावशाली बनाता है।

    (1) विज्ञान एवं वैक विक्रय की प्रभावशीलता में

    वृद्धि विक्रय संवर्द्धन योजनाओं (मूल्यों में नकद छूट बिक्री प्रतियोगिताय, मुफ्त तोहफे एवं मुफ्त नमूनों का वितरण, कूपन, स्क्रेच योजना के कारण ग्राहक स्वयं व्यापारी के पास पहुँचकर वस्तु की मांग करता है फलस्वरूप विक्रेता को उपभोक्ता को समझाने उनकी आपत्तियों का निवारण करने एवं उन्हें क्रय करने हेतु प्रेरित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

    विक्रय संवर्द्धन में उपभोक्ताओं तथा व्यापारियों को विभिन्न प्रोत्साहन एवं स्कीमे देकर विज्ञापन संदेश को विक्रय में बदला जा सकता है। इसके अतिरिक्त विक्रय संचन योजनाओं में ग्राहकों को विज्ञापित वस्तुओं को प्रयोग करने एवं जाँच करने का अवसर प्राप्त हो जाता है परिणाम स्वरूप उपभोक्ता के मन में विज्ञापन के प्रति सन्देह दूर हो जाता है अतः विक्रय में सहायक होता है इन्हें प्रभावशाली बनाता है।

    (2)

    विक्रय में वृद्धि : - 

    विक्रय संवर्धन के अन्तर्गत नमूनो/ कूपनों का निःशुल्क वितरण किया जाता है, फेशन परेड का आयोजन, मूल्यों में छूट विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन आदि किये जाते है। इन सभी प्रयासों को करने के परिणाम स्वरूप ग्राहकों का वस्तु की ब्राण्ड में विश्वास बढ़ता है तथा वे अधिक वस्तुयें खरीदने के लिये प्रोत्साहित होते है जिससे विक्रय में वृद्धि होती है।

    (3) प्रतिस्पर्धा पर विजय प्राप्त करना

    आज का युग प्रतिस्पर्धा का युग है प्रतिस्पर्धा पर सफलता प्राप्त करने के लिये विकय संवर्धन की महत्वपूर्ण भूमिका है। विक्रम संवर्द्धन के नये-नये कार्यक्रमों के द्वारा संस्था अपनी प्रतिस्पर्धी कम्पनियों से आगे निकल जाती है।

    (4) स्थति में वृद्धि -

    विक्रय संवर्द्धन कार्यक्रमों के चलते रहने के कारण वस्तु के ब्राण्ड की लोकप्रियता बढ़ती है और वह ब्राण्ड उपभोक्ताओं के मन में अपनी विशिष्ट पहचान बना लेता है जिससे संस्था की ख्याति में वृद्धि होती है।

    (6) नय बाजारों में प्रवेश:- उपभोक्ताओं के ज्ञान एवं विश्वास में वृद्धि विक्रय संवर्धन क्रियाएं प्रोत्साहन कार्यक्रमों का उपयोग कर उपभोक्ताओं को वस्तु के गुणों एवं उपयोग के बारे जानकारी प्राप्त होती है साथ ही वस्तु के उपयोग के प्रति विश्वास पैदा होता है। विक्रय संवर्द्धन कार्यक्रमों की सहायता से निर्माता अपनी वस्तु के लिये नये-नये बाजारों में आसानी से प्रवेश कर सकता

    (7) लागों में वृद्धि

    विक्रय संवर्द्धन कार्यक्रमों की सहायता से ग्राहक अधिक माल खरीदने के लिये प्रेरित होते है फलस्वरूप विक्रय में वृद्धि होती है। विक्रय में वृद्धि होने से बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिये बृहद स्तर पर उत्पादन करना पड़ता है। बड़े पैमाने पर उत्पादन एवं बाहय मितव्यतायें प्राप्त होती है जिससे प्रति इकाई लागत में कमी आती है तथा लाभों में वृद्धि होती है।

    (8)


    मध्यस्थों को अधिक सुविधायें:-
     विक्रय संवर्द्धन कार्यक्रमों में उत्पादक मध्यस्थो को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं देते हैं, जैसे फुटकारी व्यापारी के नाम से विज्ञापन देना, दुकान की सजावट करना, मुफ्त वस्तुएँ एवं भेट देना आदि।

    (9)

    जीवन स्तर में सुधार

    विक्रम संवर्धन कार्यक्रमों में उपभोक्ताओं को छूट प्राप्त होती है तथा उपभोक्ताओं को प्रति ईकाई लगात में कमी होने से वस्तु सस्ते मूल्य पर मिल जाती है परिणाम स्वरूप उपभोक्ता अधिक एवं विविध वस्तुएं खरीद पाते हैं और उनके जीवन स्तर में सुधार होता है।




    विक्रय संवर्द्धन की विधियां : -


    विक्रय संवर्धन का मुख्य उद्देश्य व्यापारियों को विक्रय के लिये व ग्राहकों को कम करने के लिये प्रेरित करना है विक्रय संवर्द्धन का क्षेत्र बहुत व्यापक है इसलिये विक्रय संवर्द्धन के लिये विभिन्न प्रकार के तरीकों को अपनाया जाता है। मोटे तौर पर विक्रय संवर्द्धन की विधियों को तीन आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है। प्रथम उद्देश्य के आधार पर द्वितीय, वस्तु के आधार पर, तृतीय क्षेत्र के आधार पर।

    उद्देश्य आधार पर विक्रम संवर्धन की दो विधियों इस

    प्रकार है।

    (A) उपभोक्ता संवर्धन विधियों


    (B) व्यापारी संवर्द्धन विधिया। 

    इसी तरह वस्तु की प्रकृति के आधार पर भी विक्रय संवर्द्धन का दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है उपभोक्ता वस्तु संवर्द्धन विधियों एवं औद्योगिक संवर्धन विधियों विक्रय क्षेत्र के में आधार पर निर्माता देशी व्यापार विक्रय संवर्द्धन एवं निर्यात व्यापार विक्रय संवर्द्धन विधियों का उपयोग करते हैं। विक्रय संवर्द्धन की उपर्युक्त वर्गीकृत विधियों के विस्तार में जाना हमारे लिये अपेक्षित नहीं है अतः हम विक्रय संवर्द्धन की उक्त दो विधियों का विस्तार से अध्ययन करेंगे

    (A) उपभोक्ता संवर्धन विधियाँ


    उपभोक्ता संबर्न्दन विधियाँ प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं से सम्बन्धित होती है तथा उन्हें अधिकाधिक मात्रा में माल को क्रय करने के लिये प्रेरित करती है। इन संवर्धन विधियों को उपभोक्ता के निवास स्थान कार्यालय अथवा मध्यस्थों की दुकानों पर क्रियान्वित किया जाता है। उपभोक्ता संवर्द्धन की प्रमुख विधिया इस प्रकार है-

    1

    मुफ्त नमूनों का वितरण

    किसी नये ब्रांड को बाजार में लाते समय संभावित ग्राहकों को वस्तु के मुफ्त नमूनों का वितरण किया जाता है। यह विक्रय संवर्द्धन का महत्वपूर्ण एवं प्रभावकारी उपाय है। नमूनों की सहायता से उपभोक्ता वस्तु के गुणों प्रयोग व उपयोगिता के सम्बन्ध में जांच परख कर सकता है तथा उसे खरीदने का निर्णयले सकता है। नमूनों का मुफ्त वितरण पर पर जाकर अथवा कार्यालया, दुकानों, चौराहों पर किया जा सकता है। डाक द्वारा भी संभावित ग्राहकों को नमूने भेजे जा सकते है।

    आज के दवा विक्रेता डॉक्टरों को दवाइयाँ पुस्तक प्रकाशक शिक्षकों को पुस्तके नमूने के रूप में देते हैं। छिटर्जेन्ट, सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री एवं नये उत्पाद इस विधि से बेचे जाते है। नमूने वितरण में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये (1) नमूने वस्तु का सही प्रतिनिधित्व करते हो नमूने के सम्पूर्ण माल से भिन्न होने पर संस्था की ख्याति को ठेस लगने का भय रहता है। (2) नमूने आकर्षक एवं जाँच करने योग्य हो (3) नमूने पर विक्रय के लिये नहीं अथवा 'नमूने की प्रति शब्द के अंकित करने चाहिये ताकि उसका दुरुपयोग नहीं हो।

    (2) प्रतियोगिताएँ

    निर्माता उपभोक्ताओं को आकर्षित करने नई वस्तु को बाजार में प्रस्तुत करने, प्रतिस्पर्धियों से आगे निकलने अथवा विक्रय में वृद्धि करने के लिये उपभोक्ताओं के लिये विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन करते है। प्रतियोगिता में सम्मिलित होने के लिये उपभोक्ता को क्रय की गई वस्तु का केशममों अथवा वस्तु की पैकिंग का कोई हिस्सा सलग्न करना होता है। प्रतियोगिता में विजयी रहने वाले ग्राहकों को नकद राशि, कम्पनी का उत्पाद अथवा विदेश घूमने एवं पाँच सितारा होटल में रुकने की सुविधा प्रदान की जाती है। प्रतियोगिताएँ इस प्रकार हो सकती है वस्तु से सम्बन्धित अधूरा वाक्य पूरा करना जैसे मै




    (1)

    विडियोकॉन टी.वी. प्रयोग करता / करती हूँ क्योंकि


    (2) ग्राहकों को वस्तु का चित्र देकर वस्तु का शीर्षक अथवा पुरस्कार दिया जाता है। वस्तु के बारे में नारा पूछना जैसे- जो ओके साबुन से नहाये....।

    (3) नाम पूछना सर्वश्रेष्ठ शीर्षक / नाम देने वाले को उपभोक्ताओं से पहेलियों को हल करवाना वस्तु के बारे में ग्राहकों से पत्र लिखवाना एस. एम. एस. लेना।



    (4) घटे मूल्य पर विकस


    विशेष अवसरों पर जैसे दीपावली संस्था का स्थापना दिवस नववर्ष गांधी जयन्ती आदि अवसरों पर निर्माता द्वारा उत्पाद को सूची में दिये गये मूल्य से कम मूल्य पर बेचता है। उदाहरण- एक जूता बनाने वाली कम्पनी द्वारा 50 तक की छूट अथवा एक कमीज निर्माता द्वारा 5040 प्रतिशत की छूट प्रचलन एवं फैशन से बाहर हो गई वस्तुओं एवं पुराने स्टॉक को बेचने का यह सर्वाधिक प्रचलित तरीका है।



    कूपन में उपभोक्ता को वस्तु खरीदने पर कीमत में छूट दी जाती अथवा कुछ मुफ्त वस्तु दी जाती है। कूपन वस्तु की पैकिंग में रखे जा सकते हैं। अथवा अखबार में प्रकाशित किये जा सकते हैं। वस्तु को खरीदने के पश्चात् जब ग्राहक पैकिंग खोलता है तो उसमें से कूपन निकलता है। कूपन में दी गई राशि की ग्राहक को छूट मिल जाती अथवा कूपन में अंकित वस्तु उसे मुफ्त में दी जाती है। राजस्थान पत्रिका दैनिक भास्कर कूपन पद्धति का अपने पाठकों को बनाये रखने एवं उनका विस्तार करने में बखूबी उपयोगा कर रहे है। अगरबत्ती, चाय व साबुन निर्माता भी कूपन पद्धति का प्रयोग करते हैं।

    (5) मेले एवं प्रदर्शनीया

    मेले एवं प्रदर्शनीया विक्रय संवर्द्धन का महत्वपूर्ण साधन है। इनमें वस्तुओं को विशेषरूप से सजाकर रखा जाता है तथा वस्तु से सम्बन्धित हैण्ड बिल अथवा साहित्व का मुफ्त वितरण भी किया जाता है। राष्ट्रीय पुस्तक मेला शू फेयर, स्वदेशी मेला, सहकारी वस्तुओं एवं हस्तशिल्य का मेला इसके प्रत्यक्ष उदारहण है।

    6) नियम


    प्रिमियम का अभिप्राय ग्राहक द्वारा कोई वस्तु खरीदे • जाने पर निर्माता द्वारा अतिरिक्त वस्तु प्रदान किये जाने से है। प्रिमियम के कुछ उदाहरण निम्न प्रकार है टूथ पेस्ट के पैकेट के साथ दूध बुश देना, पेन्सिल के पैकेट के साथ रबर देना, अगरबत्ती के पैकेट के साथ अगबती स्टैण्ड देना, टी.वी. खरीदने पर वी.सी.डी./ डी.पी.डी. देना वस्तु के साथ कूपन देना, पुरानी या उपयोग में लाई गई वस्तु के बदले कुछ कीमत लेकर नई वस्तु देना प्रिनियम के कारण ग्राहक वस्तु को खरीदने के लिये प्रेरित होते हैं।

    (7)

    अतिरिक्त यात्रा उपहार स्वरूप

    उत्पाद की अतिरिक्त मात्रा उपहार में देना यह सामान्यतः सौन्दर्य प्रसाधन निर्माता उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिये एक फेयर एण्ड लवली क्रीम पर 40 अतिरिक्त देना

    (8) क्रियात्मक प्रदर्शन

    इसमें निर्माता अपने शोरूम पर अथवा मेले प्रदर्शनी में वस्तु को उपयोग में लेने का प्रदर्शन करता है। तकनीकी प्रकृति की वस्तुओं का जैसे टी.वी. रेफ्रोजरेटर डीवीडी, कम्प्यूटर मिक्सी, वाशिंग मशीन आदि को बेचने में इसका प्रयोग किया जाता है। इसके माध्यम से ग्राहकों के सन्देहों का निवारण हो जाता है तथा वह स्वयं भी वस्तु का प्रयोग करके देख सकता है।
     


    (9) विक्रोपरान्त सेवा

    इसमें विक्रेता उपभोक्ता को विक्रय के बाद निश्चित अवधि के लिये सेवा की गारन्टी देता है। इससे उस अवधि ग्राहक वस्तु की देख-रेख मरम्मत आदि के आय से बच जाता है। मशीन, पंछे बाइक स्कूटर, कार, फ्रिज आदि से विक्रयोपरान्त सेवा ग्राहकों को क्रय हेतु प्रेरित करने का महत्वपूर्ण तरीका है। ग्राहक उस कम्पनी के उत्पाद को खरीदना पसन्द करता है जिसकी विक्रयोपरान्त सेवा अच्छी है।

    (10)

    आकर्षक एवं सुन्दर पैकेजिंग ग्राहकों को वस्तु क्रय करने के लिये प्रेरित करती है तथा वस्तु की कीमत, ब्राण्ड गुण आदि के बारे में सूचनाये प्रदान करती है। शीशे या प्लास्टिक के डिब्बे वाली चाय एवं खाद्य तेलों की अधिक बिक्री का कारण उनकी पैकेजिंग ही है।

    B. व्यापारी संवर्द्धन विधियाँ


    व्यापारी संवर्द्धन विधियों से तात्पर्य उन विधियों से है जो मध्यस्थों (थोक व्यापारी फुटकर व्यापारी आदि) को अधिकाधिक माल का क्रय करने एवं उसे विक्रय करने के लिये प्रोत्साहित करती है। विपणन की सफलता मध्यस्थों पर निर्भर करती है। अतः उत्पादक मध्यस्थों को प्रेरित करने के लिये

    (1) विक्रय प्रतियोगितायें

    ●व्यापारियों की अधिक माल बेचने के लिये प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रतियोगितायें आयोजित की जाती है। इसमें सर्वाधिक विक्रय प्रतियोगिता सर्वश्रेष्ठ विक्रेता प्रतियोगिता, काउन्टर सजावट प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है। विजेता व्यापारियों एवं विक्रेताओं को निर्माता द्वारा पुरुस्कार

    दिये जाते है।

    (2) भत्ते

    निर्माता मध्यस्थों का सहयोग प्राप्त करने केलिये उन्हें विभिन्न प्रकार के मतो देता है जिनमें से प्रमुख भिन्न है

    (I) क्रय भत्ता

    यह भत्ता व्यापारी द्वारा एक निश्चित अवधि में निश्चित मात्रा का माल क्रय करने पर निर्माता द्वारा दिया जाता है। उदाहरण के लिये 150000 रूपये का माल एक साथ खरीदने पर

    (II) वस्तुभत्ता

    जब व्यापारी केवल एक ही निर्माता द्वारा वस्तु भत्ता दिया जाता है। उदाहरणार्थ विभिन्न कम्पनियों के कपड़े रखने के स्थान पर केवल बाम्बे डाइंग का कपडा रखने पर माल भत्ता


    (iii) विज्ञापन भत्ता

    विज्ञापन भत्ता से आशय व्यापारी द्वारा किये जा रहे विज्ञापन का कुछ खर्चा निर्माता द्वारा वहन किये जाने से है।

    (iv) सजावट भत्ता

    इसमें व्यापारी द्वारा सजावट पर किये जा रहे व्यय का कुछ भाग निर्माता द्वारा वहन किया जाता है। वस्तुओं को सुन्दर तरीके सजाकर रखने से ग्राहक दुकान की ओर आकर्षित होते है।

    (3) विशिष्ट सेवा

    निर्माता व्यापारियों को साख सुविधायें वापस क्रय गारण्टी एवं मरम्मत सुविधायें प्रदान कर उन्हें अधिक माल विक्रय करने के लिये प्रोत्साहित कर सकता है। निर्माता निश्चित अवधि केलिये व्यापारियों को उधार क्रय की सुविधा प्रदान करते है। इससे मध्यस्थों को पूंजी व्यवस्था करने की चिन्ता नहीं रहती है। इसी तरह निर्माता वितरकों एवं व्यापारियों को विक्रय अथवा वापस की सुविधा प्रदान करते है विक्रेता माल बेचने का प्रयास करते है विशिष्ट सेवाओं में व्यापारी विक्रय संवर्धन का एक अन्य उपाय है- मरम्मत सुविधायें प्रदान करना। इसमें निर्माता वस्तु के खराब होने पर उसे व्यापारी के विक्रय स्थल पर ही ठीक मरम्मत करता है।

    (4) प्रबन्धन सहायता

    निर्माता मध्यस्थों को नवीन प्रबन्ध तकनीकों, सरकारी नीतियों, वित्तिय प्रबन्ध विक्रय प्रवन्ध संस्था की सजावट, ग्राहकों की आपत्तियों के निराकरण सम्बन्धी मामलों पर जानकारी एवं सलाह देता है। इससे व्यापारियों की कार्यक्षमताओं में सुधार होता है तथा वे धन का अनुकूलतम


    (5) समायें एवं सम्मेलन 

    निर्माता विक्रय संवर्द्धन हेतु व्यापारियों की समाये एवं सम्मेलन समय-समय पर आयोजित करते हैं। समा एवं सम्मेलन से मध्यस्थ अपनी समस्यायें निर्माता के सामने रखते है तथा आपसी विचार विमर्श द्वारा इन समस्याओं का समाधान खोजा जाता है। सभा एवं सम्मेलन निर्माता नवीन परिवर्तनों की जानकारी देता है तथा विक्रय नीति को स्पष्ट करता है। इस प्रकार के आयोजन से निर्माता एवं व्यापारियों में पारस्परिक सहयोग बढ़ता है जो विक्रय संवर्धन में सहायक होता है

    (6) प्रशिक्षण

    मेडिकल रिप्रजेन्टेटिव (दवा निष्क्रियता) वित्तिय कम्पनियों एवं इलेक्ट्रोनिक उत्पाद कम्पनियों के विक्रयकर्ताओं की कार्यप्रणाली यह स्पष्ट करती है कि प्रशिक्षण विक्रय संवर्द्धन में बहुत उपयोगी होता है निर्माता अपने मध्यस्थाएं व विक्रेताओं की वस्तु के सम्बन्ध में सामान्य तथा विशिष्ट प्रशिक्षण देते हैं। सामान्य प्रशिक्षण में विक्रय कला व्यापार नीति एवं कार्य प्रणाली का ज्ञान कराया जाता है। विशिष्ट प्रशिक्षण तकनीकी वस्तुओं के सम्बन्ध में दिया जाता है जिसमें विक्रय कला एवं व्यापार नीति के साथ-साथ उत्पाद के तकनीकी एवं संचालन सम्बन्धी पहलुओं की जानकारी दी जाती है।

    (7) फैशन शो

    निर्माता व्यापारियों द्वारा विक्रय की जाने वाली वस्तुओं का प्रचार करने के लिये फैशन शो आयोजित करते हैं। फैशन शो में वस्तुओं को नवीनतम एवं आकर्षक तरीकों के साथ प्रस्तुत किया जाता है ताकि ग्राहक इन वस्तुओं को क्रय करने के लिये प्ररित हो सके। परिधान, आभूषण एवं वाहन निर्माताओं द्वारा समय-समय पर फैशन शो आयोजित किये जाते हैं।

    (8) व्यापारी प्रीमियम

    निर्माता द्वारा व्यापारियों को एक निश्चित मात्रा मे अथवा निश्चित मूल्य की वस्तुयें बेचने पर अथवा एक साथ बढ़ी मात्रा में माल क्रय करने पर प्रिमियम के रूप में मूल्यवान वस्तु जैसे टी.वी. चांदी का सैट आदि निःशुल्क दिये जाते है।


    (9) विशिष्ट सेवायें

    निर्माता व्यापारियों को साख सुविधायें वापस क्रय गारण्टी एवं मरम्मत सुविधा प्रदान कर उन्हें अधिक माल विक्रय करने के लिये प्रोत्साहित कर सकता है। निर्माता निश्चित अवधि केलिये व्यापारियों को उधार क्रय की सुविधा प्रदान करते हैं। इससे मध्यस्थी को पूंजी की व्यवस्था करने की चिन्ता नहीं रहती है। इसी तरह निर्माता वितरकों एवं व्यापारियों को विक्रय अथवा वापस की सुविधा प्रदान करते है। विक्रेता माल बेचने का प्रयास करते है विशिष्ट सेवाओं में व्यापारी विक्रय संवर्धन का एक अन्य उपाय है- मरम्मत सुविधायें प्रदान करना। इसमें निर्माता वस्तु के खराब होने पर उसे व्यापारी के विक्रय स्थल पर ही ठीक मरम्मत करता है।




    FAQ


    प्र.1 उपभोक्ता संवर्धन विधियों में से किन्हीं चार का नामोल्लेख कीजिये?

    प्र.2 नामोल्लेख कीजिये? उपभोक्ता संवर्द्धन विधि से क्या समझते है?

    प्र.3 विक्रय संवर्द्धन से क्या आशय है?

    प्र.4 व्यापारी संवर्द्धन विधियों में से किन्हीं चार का

    प्र.5 व्यापारी संवर्द्धन विधि से आप क्या समझते है?

    प्र.6 विक्रय संवर्द्धन के महत्व के कोई दो बिन्दुओं का उपभोक्ता संवर्द्धन की प्रतियोगिता विधि को स्पष्ट  उल्लेख कीजिये?








    Arjun Singh

    नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अर्जुन सिंह है, मैं अभी बी.कॉम से ग्रेजुएशन कर रहा हूं । मुझे लेख लिखना बहुत पसंद है इसलिय में ये ब्लॉग बनाया है, मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद!

    Previous Post Next Post