विपणन का अर्थ, परिभाषा | विपणन के कार्य | विपणन प्रबंधन का महत्व

    विपणन क्या है इन हिंदी 

    Vipanan kya hai

     विपणन मीनिंग इन हिंदी : vipanan ka arth

    विपणन प्रबन्ध सम्पूर्ण प्रबन्ध की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत ग्राहकों की आवश्यकताओं का अध्ययन किया जाता है तथा उनकी सन्तुष्टि के लिये प्रभावी विपणन कार्यक्रमों का नियोजन एवं क्रियान्वयन किया जाता है।


    विपणन की परिभाषा : 


    स्टिफ एवं कण्डिफ के अनुसार विपणन प्रबन्ध सम्पूर्ण प्रबन्ध का वह कार्यकारी क्षेत्र है, जो उपक्रम के विपणन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उद्देश्यपूर्ण क्रियाओं के संचालन से सम्बन्धित है।

    प्रो. जॉनसन के अनुसार विपणन प्रबन्ध व्यवसायिक क्रिया का यह क्षेत्र है जिसमें सम्पूर्ण विक्रय अभियान के सभी चरणों के सम्बन्ध में योजनाओं का निर्माण एवं क्रियान्वयन सम्मिलित है।

    विलियम जे. स्टेन्टन के अनुसार विपणन विचार का क्रियात्मक रूप ही विपणन प्रबन्ध होता है।"



    विपणन की प्रबन्ध के कार्य के रूप में अनेक क्रियायें निम्नानुसार है

    1.

    बाजार विश्लेषण के कार्य

    एक विपणन कर्ता के महत्वपूर्ण कार्यों में से एक कार्य बाजार सम्बन्धी सूचना एकत्रित करना तथा उसका विश्लेषण करना है। विपणन कार्यों का प्रारम्भ बाजार विश्लेषण के साथ ही होता है। इसके द्वारा विपणन प्रबन्धक अपने ग्राहकों की आवश्यकता, इच्छा, रुचि आदि का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। बाजार में वस्तु की माँग एवं पूर्ति का अनुमान भी बाजार विश्लेषण के द्वारा ही संभव है। इसी के द्वारा प्रबन्धक यह भी ज्ञात कर सकता है कि उसके भावी ग्राहक कौन-कौन हो सकते है। इसके अतिरिक्त बाजार की प्रतिस्पर्द्धात्मक स्थिति का अध्ययन करने, बाजार वातावरण का अध्ययन करने बाजार वातावरण का अध्ययन करने ग्राहकों की क्रय शक्ति, आय, क्रय उद्देश्य की जानकारी प्राप्त करने के लिये भी बाजार विश्लेषण करना परमावश्यक है। इसके माध्यम से प्रबन्धक बाजार की विद्यमान स्थिति, ग्राहकों की स्थिति का पूर्ण अध्ययन कर लेते हैं।

    2

    विपणन नियोजन

    संगठन के विपणन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये विपणन प्रबन्धक का एक और महत्वपूर्ण कार्य उचित विपणन योजना का विकास करना है। इसके लिये विपणन के लिये निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप एक पूरी विपणन योजना तैयार करनी होगी जिसमें उत्पादन के स्तर में वृद्धि वस्तुओं का प्रवर्तन, आदि जैसे महत्वपूर्ण पक्ष सम्मिलित किये जायेंगे तथा इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये क्रियान्वयन कार्यक्रम का निर्धारण भी होगा।

    3.

    विपणन संचार कार्य

    संचार कार्य विपणन का एक महत्वपूर्ण कार्य है। प्रत्येक विपणन प्रबन्धक को अपनी संस्था में कुशल विपणन संचार व्यवस्था करनी होती है। विपणन संचार के लिये विज्ञापन, विक्रय  संवर्धन, विपणन अनुसन्धान विक्रयकला प्रचार, सुझाव आदि महत्यूपर्ण साधन है विक्रय कला प्रचार विज्ञान आदि से संस्था अपने विद्यमान एवं भावी ग्राहकों को आवश्यक सन्देश पहुँचाती है जबकि विपणन अनुसन्धान द्वारा ग्राहक वस्तुओं के बारे में अपने सुझाव तथा शिकायते संस्था तक पहुंचाते हैं। अतः एक विपणन प्रबन्धक द्विमार्गीय संचार की व्यवस्था करता है।

    उत्पाद का रूपांकन एवं विकास

    4. विपणन प्रबन्धक का एक और महत्वपूर्ण कार्य है उत्पाद का रूपांकन एवं विकास उत्पाद का रूपांकन लक्षित उपभोक्ताओं के लिये उत्पाद को और अधिक आकर्षित बनाने में सहायक होता है। एक अच्छा स्वरूप उत्पाद की उपयोगिता को बढ़ा सकता है तथा बाजार में इसे और अधिक प्रतियोगी बना सकता है

    बाजार वर्गीकरण - कोई भी संस्था अपनी किसी वस्तु से सभी ग्राहकों को सन्तुष्ट नहीं कर सकती। अतः प्रत्येक संस्था को सम्पूर्ण बाजार में से कुछ विशेष प्रकार के ग्राहकों का ही चुनाव करना चाहिये तथा उन्हें सन्तुष्ट करने का प्रयास भी करना चाहिये। उनकी समान प्रकार की विशेषताओं, आवश्यकताओं, इच्छाओं रूचियों के अनुसार समूहों का उप बाजारों के अनुसार वर्गीकरण करना ही बाजार वर्गीकरण है।

    प्रत्येक संस्था बाजार वर्गीकरण करके किसी एक या अधिक बाजारों का चुनाव कर सकती है व उन्हीं बाजारों की आवश्यकता के अनुरूप अपना विपणन कार्यक्रम निर्धारित कर सकती है। 16.

    प्रमापीकरण एवं श्रेणीवन प्रमापीकरण का अर्थ है पूर्व निर्धारित विशिष्टताओं के

    अनुरूप वस्तुओं का उत्पादन करना जिससे उत्पाद में एकरूपता तथा अनुकूलता आती है। प्रमाणीकरण क्रेताओं को यह सुनिश्चित करता है कि वस्तुएँ पूर्व निर्धारित गुणवत्ता मूल्य एवं पैकेजिंग अनुसार है श्रेणीवन के अन्तर्गत उत्पादित वस्तुओं को उनकी किरम तथा उनके गुणों के अनुसार विभिन्न वर्गों में बांट दिया जाता है। दोनों कार्यों को करने से वस्तु को पहचानने तथा उसका मूल्य निर्धारण में सुविधा होती है।

    7. पैकेजिंग एवं लेबलिंग

    जब कोई विपणन विभाग अपनी संस्था द्वारा निर्मित / संयोजित वस्तुओं का विक्रय करता है तो उस विभाग को उन वस्तुओं का नामकरण एवं पैकेजिंग भी करनी पड़ती है। पैकेजिंग का अर्थ है उत्पाद के पैकेज का रूपांकन करना। लेबलिंग में पैकेज पर जो लेबल लगाये जाते हैं उनका रूपाकन किया जाता है।


    पैकेजिंग के द्वारा वस्तुओं के रूप रंग एवं किस्म की सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसके द्वारा वस्तु को आकर्षक स्वरूप प्रस्तुत किया जाता है ताकि लोग उसको खरीदने के लिये. प्रेरित हो सके। कभी-कभी क्रेता पैकेजिंग से ही उत्पाद की गुणवत्ता का आंकलन करते है। आज के समय में लेस अथवा अंकल चिप्स आल्ट के वैफर्स, विभिन्न प्रकार के शैम्पू व दुधपेस्ट आदि उपभोक्ता ब्रांड की सफलता में पैकेजिंग की महत्वपूर्ण भूमिका है।

    8. किसी उत्पाद की सफलता में सही ब्रांड नाम का चयन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विपणन के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया जाता है कि क्या उत्पाद को इसका वर्ग विशेष के नाम (उत्पाद किस वर्ग का है जैसे पंखे पेन आदि) से बेचा जाये अथवा इनकी बिक्री ब्रांड के नाम (जैसे पोलर पंखे अथवा रोटोमेक पेन) से की जाए। ब्रांड का नाम उत्पाद को अन्य उत्पादों से भिन्न बनाता है। जिससे उत्पाद के लिये उपभोक्ता का लगाव पैदा होता है तथा इससे विक्रय संवर्द्धन में सहायता मिलती है।

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    ग्राहक समर्थन सेवाएँ

    ग्राहक समर्थन सेवायें ग्राहकों द्वारा बार-बार क्रय करने एवं उत्पाद के बाद के प्रति स्वामी भक्ति विकसित करने में अत्यधिक प्रभावी सिद्ध होती है। विपणन प्रबन्ध का एक महत्वपूर्ण कार्य ग्राहक समर्थक सेवाओं का विकास करना है जैसे बिक्री के बाद की सेवा, ग्राहकों की शिकायत दूर करना एवं समायोजनों को देखना, साख सेवाएँ रख-रखाव सेवायें, तकनीकी सेवाये प्रदान करना एवं उपभोक्ता सूचनाएं देना ये सभी उपभोक्ताओं को अधिकतम सन्तुष्टि प्रदान करती है जो आज के समय में विपणन की सफलता की कुंजी है।

    उत्पाद का मूल्य निर्धारण

    10. किसी वस्तु की मांग का उसके मूल्य से सीधा सम्बन्ध है। सामान्यतः यदि मूल्य कम है तो उत्पाद की मांग अधिक होगी इसके विपरीत मूल्य के अधिक होने पर मांग कम हो जाती है। उत्पाद का मूल्य वह राशि है जिसका भुगतान उत्पाद को प्राप्त करने के लिये ग्राहक को करना होता है। मूल्य एक महत्वपूर्ण तत्व है जो बाजार में किसी उत्पाद की सफलता अथवा असफलता को प्रभावित करता है। विपणनकर्ताओं को मूल्य •निर्धारक तत्वों का ठीक से विश्लेषण करना होता है।

    11. विक्रय

    इस कार्य के अन्तर्गत विपणन विभाग माल के स्वामित्व का हस्तान्तरण करता है या करने का अनुबन्ध करता है। इस हेतु माल का मूल्य तथा विक्रय शर्तों को निर्धारित करना, मूल्य सूचियों का प्रकाशन करना, विक्रयकर्ताओं को नियुक्त करना आदि इसी विभाग के कार्य है।

    12. परिवहन

    परिवहन का अर्थ है माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना विभिन्न उत्पादकों से माल एकत्र करने तथा अनेक ग्राहकों को यथासमय माल उपलब्ध कराने के लिये परिवहन की व्यवस्था करनी पड़ती है। यह महत्वपूर्ण कार्य है जो वस्तुओं को स्थान उपयोगिता प्रदान करता है। विपणन विभाग जल, थल, नभ मार्गों से परिवहन की व्यवस्था कर इस कार्य को सम्पन्न करता है। माल के परिवहन के लिये बीमा करवाने का कार्य भी यही विभाग करता है।

    13. संग्रहण

    सामान्यतः वस्तु का उत्पादन तथा उनकी बिक्री अथवा उपयोग के बीच समय का अन्तर होता है। विनिमय कार्य को पूरा करने के लिये विपणन विभाग को माल का संग्रहण भी करना पड़ता है। विपणन विभाग माल को उस समय संग्रह कर लेता है जबकि माल की पूर्ति उसकी मांग की तुलना में अधिक होती है। कुछ वस्तुएँ एक विशेष मौसम में ही पैदा होती है जैसे आलू, सेब गेहूँ आदि। इनका भी संग्रहण करना पड़ता है ताकि मौसम समाप्त होने के बाद भी इनकी आपूर्ति बनायी रखी जा सके। संग्रहण कार्य से माल की मांग एवं पूर्ति में सन्तुलन स्थापित में किया जा सकता है।

    14 जोखिम उठाना -

     विपणन कार्य में जोखिमें भी होती है। माल के नष्ट होने माल की मांग में परिवर्तन होने, उधार की वसूली न होने, आग लगने, बाढ़ आने आदि के कारण विपणन विभाग को जोखिम उठानी पड़ती है। कुछ जोखिमों का तो बीमा करवाया जा सकता है किन्तु सभी जोखिमों का बीमा करवाया जाना संभव नहीं होता। ऐसी स्थिति में स्वयं को ही जोखिम का भार उठाना पड़ता है अतः विपणन विभाग जोखिम उठाने तथा उसे कम करने का कार्य भी करता है।


    विपणन प्रबंध का महत्त्व : 

    अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से विपणन प्रबन्ध के महत्व को निम्न प्रकार से वर्गीकृत करके अध्ययन किया जा सकता है

    1. व्यवसायियों / उपक्रम के लिये महत्व

    2. ग्राहकों के लिये महत्व

    3. समाज के लिये महत्व

    14. राष्ट्र के लिये महत्व

    महत्व को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।

    (1)

    प्रतिस्पर्द्धा में अस्तित्व बनाये रखने के लिये

    आधुनिक प्रतिस्पद्धत्यिक वातावरण में विपणन कार्यों के द्वारा ही संस्था अपने अस्तित्व को बनाये रख सकती है कोई भी संस्था प्रभावकारी विपणन व्यूह रचना निर्धारित करके व्यावसायिक प्रतिस्पर्द्धा का आसानी में मुकाबला कर सकती है।

    (2) नियोजन का आधार

    विपणन प्रबन्ध बाजार एवं उपभोक्ता से जुड़ी हुई प्रणाली है। परिणाम स्वरूप इससे ग्राहकों की आवश्यकताओं इच्छाओं रूचियों आदि का समुचित ज्ञात हो जाता है। इसी कारण प्रत्येक संस्था उन वस्तुओं के उत्पादन पर ध्यान दे सकती है जिन्हें ग्राहक पसन्द करते हैं। विभिन्न विपणन सूचनाओं बाजार मार्ग प्रतिस्पर्धा, फैशन, ग्राहक रूचि क्रय शक्ति आदि के आधार पर ही कम्पनी योजनाओं को तैयार करती है।


    (3) अधिक विक्रय

    विपणन प्रबन्ध के द्वारा बाजार एवं उपभोक्ता का विश्लेषण किया जा सकता है। इससे ग्राहकों की बदलती हुई रूचियों, आवश्यकताओं व फैशन का ज्ञान प्रबन्धको को हो जाता है व उन्हीं के अनुरूप वस्तुओं का निर्माण किया जाता है अतः माल का विक्रय आसानी से हो जाता है।

    (4) अधिक उत्पादन

    अधिक विक्रय होने के फलस्वरूप अधिक उत्पादन करने की आवश्यकता पड़ती है। जिससे कोई भी संस्था पहले की अपेक्षा अधिक उत्पादन कर पाती है व दीर्घकालीन उत्पादन के लक्ष्यों को प्राप्त कर लेती है।

    (s) न्यूनतम लागत पर विवरण

    प्रभावकारी विपणन के कारण जब दीर्घकालीन उत्पादन होने लगता है तो इससे अन्ततोगत्वा प्रति इकाई लागत में कमी आती है।

    लामों में वृद्धि

    प्रभावशील विपणन व्यवस्था लामों को बढ़ाने में सहयोग प्रदान करती है। माल की मांग बढ़ने पर कम लागत पर अधिक उत्पादन करके मांग की पूर्ति की जाती है तो लाभों में अवश्य ही वृद्धि होती है।

    (7) मध्यस्थों की प्राप्ति में सहायक - प्रभावशाली विपणन व्यवस्था के माध्यम से मध्यस्थों एजेन्ट, थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी आदि को प्राप्त करना सरल होता है क्योंकि मध्यस्थ उसी उत्पादक का माल बेचते है। जिनकी विपणन व्यवस्था ग्राहक प्रधान होती है।

    (8) ख्याति का निर्माण

    जब ग्राहक को उनकी आवश्यकता के अनुसार न्यूनतम लागत पर अच्छी वस्तुयें प्राप्त हो जाती है तो उनको सन्तुष्टि मिलती है। इससे बाजार में सन्तुष्ट ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होती है जसके परिणाम स्वरूप संस्था की ख्याति बढ़ती है। विज्ञापन व विक्रय संवर्द्धन योजनाएँ भी संस्था की ख्याति में वृद्धि करती है।

    ((9) विकास एवं विस्तार

    विपणन प्रबन्ध उत्पाद विविधिकरण एवं नव प्रवर्तन कार्यों में सहायक होता है। संस्था अपने विद्यमान ढांचे के अन्तर्गत नई वस्तुओं को जोड़ सकती है तथा वर्तमान उत्पादन क्षमता का विस्तार कर सकती है। इस प्रकार संस्था की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो जाने से विकास की संभावनायें बढ़ जाती है।


    (10)

    सामाजिक दायित्वों की पूर्ति


    प्रभावकारी विपणन व्यवस्था ग्राहकों की सन्तुष्टि को आधार मानकर समस्त क्रियायें उनकी सन्तुष्टि के लिये की जाती है अतः आधुनिक विपणन उपभोक्ता केन्द्रित होने के कारण सामाजिक उद्देश्यों एवं दायित्वों की पूर्ति में भी सहायक होता है।

    (11) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सफलता

    प्रभावकारी विपणन के माध्यम से ही अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सफलता प्राप्त की जा सकती है। विदेशी ग्राहकों की इच्छा, आवश्यकता रीति-रिवाज, प्रतिस्पर्द्धात्मक स्थिति आदि के सम्बन्ध में सूचनायें एकत्रित करके उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप वस्तुओं को रंग, रूप, आकार देकर उचित किस्म की वस्तुओं का निर्माण किया जा सकता है। इससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

    2.

    ग्राहकों के लिये महत्व प्रभावकारी विपणन व्यवस्था से ग्राहकों को भी

    होता है। यह ग्राहकों के हि

    प्रकार से लाभान्वित होते हैं 58 / 143

    डक

    (6) सस्ती एवं श्रेष्ठ वस्तुओं उपलब्धि

    सुदृढ विपणन योजनाओं के फलस्वरूप उत्पादन लागत एवं विपणन लागतों में कमी हो जाती है। प्रतिस्पद्धांत्मक परिस्थितियों व्यवसायियों को प्रतिस्पर्द्धा मूल्यों पर माल उपलब्ध कराने के लिये मजबूर कर रही है। इस प्रकार ग्राहकों को सस्ती वश्रेष्ठ वस्तुयें उपलब्ध कराना संभव जाता है।

    (ii) आवश्यकताओं की पूर्ति

    प्रभावशाली विपणन व्यवस्था में ग्राहकों की आवश्यकताओं रुचियों इच्छाओं आदि का महत्वपूर्ण स्थान होता है विपणन अनुसन्धान द्वारा ग्राहक की बदलती हुई रुचिया, आवश्यकताओं व फैशन का ज्ञान हो जाने से नई गई वस्तुओं का निर्माण संभव हो जाता है। इस प्रकार ग्राहक को नई-नई व स्थानापन्न वस्तुओं के उपयोग का अवसर मिलता है व आवश्यकता की पूर्ति हो जाती है

    (iii) ज्ञान में वृद्धि

    विज्ञापन, विक्रय कला एवं विक्रय संवर्द्धन के माध्यम से ग्राहकों को वस्तु के अनेक पहलुओं की जानकारी प्रदान की जाती है। इस प्रकार विपणन उपभोक्ताओं की शिक्षित करने एवं जागरूक बनाने में सहायक है।

    (iv) धन का उपयोग

    आज का ग्राहक विभिन्न वस्तुओं के रंग, रूप, गुण, मूल्य आदि का भी तुलनात्मक अध्ययन करके अपनी आवश्यकता तथा रूचि के अनुसार उचित क्रप निर्णय ले सकता है। यह विज्ञापनों द्वारा की गई सूचनाओं के आधार पर घर पर बैठे कर ही आसानी से वस्तुओं का तुलनात्मक अध्ययन कर सकता है। इससे धन का सदुपयोग होता है व क्रय शक्ति में वृद्धि होती है।

    को सन्तुष्टि प्रदान करता है। (xi) आराम एवं सुविधा

    कुशल विपणन के कारण ही आज उपभोक्ताओं को

    अधिकाधिक आराम मनोरंजन एवं विलासिता के साधन उपलब्ध

    हो रहे हैं। इससे उपभोक्ताओं की कार्यक्षमता, जीवन स्तर व

    सन्तुष्टि में वृद्धि होती है।

    3 सम्पूर्ण समाज प्रभावी विपणन प्रबन्ध व्यवस्था से लाभान्वित होता है जिनको हम निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम

    (वी)

    जीवन स्तर में वृद्धि

    विपणन प्रबन्ध द्वारा अनेक उपयोगी एवं सुख-सुविधा की वस्तुयें तथा मनोरंजन एवं विलासिता की सुविधा की वस्तुएं तथा मनोरंजन एवं विलासिता की सुविधायें ग्राहकों को उपलब्ध करवाकर समाज के जीवन स्तर में वृद्धि करता है।

    समाज के लिये महत्व

    से समझ सकते है

    (1) कम मूल्यों पर वस्तुओं की प्राप्ति

    प्रभावी विपणन प्रबध द्वारा समज के लोगों को वस्तुयें एवं सेवाये अपेक्षाकृत कम मूल्य पर प्राप्त होती है परिणामस्वरूप समाज के सभी सदस्यों को लाभ प्राप्त होता है।

    (vi) विक्रय उपरान्ध सेवा का नाम विपणन के द्वारा आज ग्राहकों को अनेक विकयोपरान्त

    सेवायें, जैसे मरम्मत गृह सुपुर्दगी, वस्तु स्थानापत्र माल परिवर्तन उपभोग सम्बन्धी निर्देश आदि निःशुल्क प्रदान की

    जाती है। इससे ग्राहक लाभान्वित होते हैं।

    (11) रोजगार में वृद्धि -

    विपणन की विस्तृत क्रियाओं जैसे-वितरण, विज्ञापन, विक्रम संवर्द्धन, पैकिंग, बाजार अनुसन्धान आदि से रोजगार बढ़ता है। इसके अतिरिक्त विपणन कई अप्रत्यक्ष कार्यों जैसे यातायात सन्देशवाहन, बैंकिंग बीमा भण्डारण, पूजी बाजार आदि को प्रोत्साहित करके भी रोजगार के अवसर पैदा करता है।


    (iii) रूढ़ियों एवं कुरीतियों से ि प्रभावकारी विपण

    मिलावट, जमाखोरी 59 / 143 री बुराइयों का उन्मूलन होता में फ होने से सामाजिक कुरीतियों दूर होने लगती है। इ

    सामाजिक परिवर्तन होने लगता है।

    (vii) बाजार सूचनाओं की जानकारी

    प्रभावी विपणन व्यवस्था सुदृढ संचार व्यवस्था पर आधारित होती है अतः ग्राहकों को बाजार सम्बन्धी सूचनाएं प्राप्त होती रहती है। बाजार में उपलब्ध वस्तुओं के साथ-साथ वैकल्पिक वस्तुओं के सम्बन्ध में यथासमय जानकारी विज्ञापन, विक्रयकर्ता तथा विक्रय संवर्द्धन साधनों प्राप्त होती है।

    (vill) यथा समय वस्तुओं की उपलब्धि प्रभावी विपणन प्रबन्ध के कारण है। आज ग्राहकों को यथासमय सभी वस्तुएँ उपलब्ध हो रही है। दिन से लेकर रात तक (24 घंटे) सभी प्रकार की सेवाम एवं वस्तुएँ उसे प्राप्त हो सकती है।

    (ix) यथास्थान वस्तुओं की उपलब्धि

    प्रभावी विपणन प्रबना ने आज सभी वस्तुएं घर द्वार तक

    पहुंचाने में सहायता की है। शहरों में ही नहीं, अब तो ज्यादातर

    गायों तथा कस्बों में भी आवश्यकता की अधिकांश वस्तुए उपलब्ध

    होने लगी है। प्रत्येक उपभोक्ता अपने घर के आस-पास ही आवश्यकता की लगभग सभी वस्तुयें प्राप्त कर सकता है।

    (एक्स)। उपभोक्ता संतुष्टि विपणन प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य उपभोक्ता संतुष्टि है

    है। विपणन उपभोक्ता की इच्छित वस्तुयें सही समय पर सही

    कीमत पर तथा पर्याप्त मात्रा उपलब्ध करवाकर उपभोक्ताओं

    (iv) सामाजिक मूल्यों की स्थापना

    विपणन को नई विचारधारा ग्राहको की सन्तुष्टि पर आधारित है। व्यवसायी उपभोक्ताओं को अपनी सभी क्रियाओं का केन्द्र बिन्दु समझने लगता है और उनकी सन्तुष्टि में ही वह लाभ

    (5)

    राष्ट्र के लिये महत्व の राष्ट्रीय साधनों का सदुपयोग

    विपणन प्रबन्ध वस्तु की समय स्थान, अधिकार, रूप एवं ज्ञान उपयोगिता का सृजन करता है। इससे देश के प्राकृतिक एवं पूँजीगत सभी सहानों का उचित वितरण एवं सुदपयोग संभव

    (6) मंदी से रक्षा

    विपणन मांग एवं पूर्ति में संतुलन बनाये रखता है। यह मांग का सृजन करके राष्ट्र को आर्थिक मन्दी बरोजगारी, गरीबी आदि बुराइयों से बचाता


    (iii) राष्ट्रीय उत्पादक में वृद्धि विपणन प्रबन्ध वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग को प्रोत्साहित करके राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि करता है।

    (iv) निर्यात वृद्धि विपणन प्रबन्ध अन्तर्राष्ट्रीय बाजार अनुसन्धान करके विदेशी बाजारों में फर्म को प्रवेश दिलाता है। साथ लागत एवं किस्म में सुधार करके निर्यात बाजार में वस्तु को जमाता है। इस प्रकार विदेशी मुद्रा के अर्जन में विपणन प्रबन्ध सहायक होता है।

    (v) सरकारी जाय

    प्रभावी विपणन व्यवस्था से माल के उत्पादन, विक्रय तथा आय सभी में वृद्धि होती है। अतः सरकार की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष करो से आय में भी वृद्धि होती है। (vi) कृषि एवं सहायक उद्योगों का विकास

    प्रभावी विपणन प्रबन्ध व्यवस्था द्वारा कृषि एवं अन्य सहायक उद्योगों के विकास को भी प्रोत्साहन मिलता है। इससे राष्ट्र का समन्वित विकास होता है।

    इससे स्पष्ट है कि विपणन प्रबन्ध समाज के प्रत्येक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। इससे व्यवसायी ही लाभान्वित नहीं होता बल्कि उपभोक्ता समाज एवं राष्ट्र भी लाभान्वित होता है।







    Arjun Singh

    नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अर्जुन सिंह है, मैं अभी बी.कॉम से ग्रेजुएशन कर रहा हूं । मुझे लेख लिखना बहुत पसंद है इसलिय में ये ब्लॉग बनाया है, मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद!

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