Salomon v A Salomon & Co Ltd [1896] (solomon vs solomon case)

सॉलोमन बनाम ए सॉलोमन एंड कंपनी लिमिटेड [1896] केस सारांश:

Salomon v A Salomon & Co Ltd [1896] case summary


    

संदर्भ :  

एरन सोलोमन ने कई वर्षो तक चमड़े के जूतों के व्यापारी के रूप में सम्रध व्यवसाय पर कम किया था |
1892 में, उन्होंने इसे एक सीमित कंपनी में बदलने का फैसला लिया और उस उदेश्ये के लिए सालोमन एंड कंपनी लिमिटेड का गठन किया  और उसमे सालोमन , उनकी पत्नी , उनकी बेटी और उनके चार बेटो को सदस्ये (पार्टनर) के रुप में किया गया , और सालोमन को प्रबंध निर्देशक के रूप में |





सालोमन बनाम सालोमन एंड कम्पनी लिमिटेड [1897 की धारा (22 )]:

इस सिद्धांत को इंग्लैंड के "हाउस ओफ़ लार्ड़स "  द्वारा  सालोमन बनाम सालोमन एंड कम्पनी लिमिटेड के मामले को आधार प्रदान किया गया है |

सर्वप्रथम हम इसे चार्ट के माध्यम से समझेंगे:                           

                       सालोमन (जूतों का व्यापारी )

व्यापार 30,000 पोंड मे बेचकर कंपनी बनाई ।

                   सदस्य                 संचालक

>saloman & com. ltd.         >mr saloman         > mr .saloman 

नोट : 1 वर्ष बाद कम्पनी की स्थति इस प्रकार थी

debanture : 10,000

General creditors : 7,000

                                                                                      

वास्तविक मामला :


> सालोमन नामक एक व्यक्ति बूट  और जूतों का निर्माता था |

> उसके व्यापार की आर्थिक स्थति बहुत अच्छी थी|

> उसने एक कम्पनी बनाने का निर्णय लिया जिसका नामा उसने सालोमन एंड कम्पनी लिमिटेड रखा |

> कम्पनी के सीमानियम के अनुसार कम्पनी में पूंजी लगाने वाले 7 व्यक्तियों की आवश्यकता थी (क्यों की कम्पनी सार्वजनिक कम्पनी थी ) ,जिसमे स्वय सालोमन ,उसकी पत्नी ,एक पुत्री ,और 4 पुत्र कम्पनी के सदस्य थे |

> सालोमन और उसके 2 पुत्र कम्पनी के संचालक मंडल के सदस्य थे |

> सालोमन ने अपना बूट और जूतों का व्यापार ,सालोमन एंड कम्पनी लिमिटेड को 30,0000 पोंड में बेचा था |

> बचने के उपरांत उसको प्रतिफल के रूप में 20,000 पोंड के पुर्न्दत अंश तथा 10,000 पोंड के ऋण पत्र (debanture ) प्राप्त हुए थे |

> 1 वर्ष के बाद कम्पनी की आर्थिक स्थति कुछ अच्छी नहीं चल रही थी जिसके कारन सालोमन को कम्पनी का सामपन करना पद गया |

> समापन के समय कम्पनी की आर्थिक स्थिति इस तरह थी |

       Assets : 6,000



      debanture : 10,000

      General creditors : 7,000

> कम्पनी की एसी आर्थिक स्थति में स्वय सालोमन भी एक ऋण पत्र धरी था जिसको भी राशि प्राप्त नहीं हो रही थी |

> एसी स्थिति होने के परिणामस्वरूप सामान्य लेनदारो ने कम्पनी के विरुद्ध न्यालय में वाद प्रस्तुत किया की उन्हें पहले भुगतान प्राप्त होना चाहिये |

> उन सभी का तर्क था की सालोमन और सालोमन एंड कम्पनी लिमिटेड एक ही व्यक्ति है तथा इन दोना का कोई प्रथक अस्तित्व नहीं इसलिये उसे पहले भुगतान न करके हमें पहेले भुगतान मिलना चाहिये |

न्यायालय का निर्णय :  इस मामले में यह निर्णय लिया गया था की श्री एरन सालोमन द्वारा कोई भी अवेध या झूठ कृत्य नहीं किया गया है और वह क़ानूनी रूप से कंपनी का लेनदार है और उसे अपने ऋण के रूप में असुरक्षित लेनदारो से पहेल कंपनी के समापन पर भुगतान करने का अधिकार है |कंपनी की सम्पति के खिलाफ एक आरोप द्वारा सुरक्षित किया गया था |  


हाऊस ऑफ लार्ड्स ने कहा कि  कम्पनी  तथा सालोमन अलग अलग व्यक्ति है कम्पनी का इसके सदस्यों  प्रथक वैधानिक अस्तित्व  होता है |      अत ; सालोमन स्वय भी एक ऋण पत्रधारी है |






Arjun Singh

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अर्जुन सिंह है, मैं अभी बी.कॉम से ग्रेजुएशन कर रहा हूं । मुझे लेख लिखना बहुत पसंद है इसलिय में ये ब्लॉग बनाया है, मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद!

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