राजस्थान के पंच पीर के नाम :
गोगाजी
रामदेवजी
हडबुजी
पाबुजी
मेहजी
I.गोगाजी :
- जन्म ददरेवा गांव राजगढ़ (चुक) 1003 वि.स. / 946 ई.
- भाद्रपद कृष्ण पक्ष नवमी (गोगानवमी)
- पिता-जेवर सिंह चौहान
- माता- बाछल
- पत्नी (1) केमलदे- कोलमंड (फलोदी)
(2) सरियल (उतरप्रदेश)
- गुरु - गोरखनाथजी
- पुत्र - 47
- भतीजा - 60
- मोसेरे भाई - अर्जन सर्जन
• उपनाम - सांपो के देवता जहारपीट/जिंदा पीट गोगापीर गैर रक्षक देवता
• गोगाजी को गोगापीर मुस्लिम कहते हैं।
• जहारपीट / जिंदा पीर मोहम्मद गजनवी ने कहा था।
• गौ रक्षक देवता गोगाजी का युद्ध मोहम्मद गजनवी के साथ हुआथा। जिसमें उनका सर कटकर ददरेवा गांव में तथा घड गोगामेडी गांव में गिटा।
II. रामदेवजी :
•जन्म-1352 ई./1409 वि.स.
• दिन-भाद्रपद शुक्ल द्वितिया जन्मस्थान - उड्कासमेट शिव (बाड़मेर)
• पिता- अजमाल सिंह तेवर
• माता- मेणादे
• पत्नी-नेतलदे (अमरसिंह के दलेलसिंह सोढा की पुत्री)
उपनाम :
- पीटों के पीर
- रामसापीर
- रुणेया रा घणी
- सामप्रदायिकता के देवता
- ठाकुर जी
- कृष्ण के अवतार
रामदेवजी के मंदिर
1. रामदेवरा (रूणिया, पोकरण, जेसलमेर)
2. छोटा रामदेवरा (गुजराता)
3. बराठिया (अजमेर)
4. सूरताखेड़ा (चितोड़)
5. मसूरीया (जोधपुर)
6. राज० का छोटा रामदेवरा (खुण्डीयास अजमेरा)
III. हडबुजी :
• जन्म- 15वी सदी भूण्डेल नागौर
• पिता-मेहाजी सांखला राजपूत गुरु-बालीनाथ
• मौसेरे भाई- रामदेवजी
• वाहन- सियार
उपनाम :
• सिद्ध पुरुष
• गौरक्षक देवता
• शकुन शास्त्र के ज्ञाता
• योगी सन्यासी
• बाल बहमचारी
• चमत्कारिक पुरुष
• हडवूजी के मंदिर में गाड़ी की पूजा होती है जिसमें वे पंगु गायों के लिए चारा लाते थे।
• हडवूजी ने राव जोधा को आर्शिवाद के रूप में कटार भेंट की थी।
• राव जोधा ने हड़बूजी को बेगटी गांव दान में दिया।
• मंदिर बेगटी गाँव फलौदी जोधपुर)
• मेला- भाद्रपद शुक्ल पक्ष
IV. पाबुजी :
• जन्म- 1239 ई./1296 वि.स. चैत्र अमावस्या
• स्थान- कोलूमंड फलोदी (जोधपुर)
• पिता- धांधलजी
• माता- कमला दे
• पत्नी- फूलमदे/मच्चारदे
• मेला- चैत्र अमावस्या
उपनाम :
• ऊँटो के देवता
• गोरक्षक देवता
• प्लेग रक्षक देवता
• हाड़ फाड़ के देवता
• वचन पुरुष लक्ष्मण का अवतार
•पाबूजी की बहन सोहनवाई की शादी जींदराव खीची (जायल नागोर) के साथ हुई थी।
• पावजीकी घोड़ी का नाम केसर कालमी था देवल चारणी ने दी।
• पाबूजी की घोड़ी का रंग काला था।
• पाबूजी के अनुयायी शादी में साढ़े तीन फेरे लेते हैं।
V. मेहाजी :
• जन्म- 14 वीं सदी
• दिन-भाद्रपद कृष्ण अष्टमी (जन्माष्टमी)
• सांखला परिवार
• पिता गोपालराव सांखला
• मंदिर- बापणी जोधपुर
• घोड़ा- किरड़काबरा
• मेला- भाद्रपद कृष्ण अष्टमी
• मेहाजी का पालन-पोषण न विहाल मांगलिया गौत्र में हुआ।
• मेहाजी का निधन गायो की रक्षा करते हुए रणगदेव भाटी के साथ युद्ध में हो गया।