बीमा एजेंट के कार्य - बीमा एजेंट के बारे में जानकारी

बीमा एजेन्ट (Insurance Agent)

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एक बीमाकर्ता के बीमा व्यवसाय की सफलता का मूल्यांकन इस तथ्य पर निर्भर करता है कि बीमा कम्पनी की समाज में लोकप्रियता और विश्वानीयता कैसी है? बीमा कम्पनी किन-किन बीमा उत्पादों को कितनी मात्रा में और कितने समय से विक्रय कर रही है। वर्तमान में बीमाकम्पनी के सम्पादित ग्राहक दूरस्थ स्थानों पर बिखरे होने से साथ-साथ बीमा कम्पनी के सम्पादित ग्राहक दूरस्थ स्थानों पर बिखरे होने से साथ-साथ बीमा कम्पनी अनेकों योजनाओं के द्वारा बीमितों को अनेक बीमा उत्पाद की सुविधा प्रदान कर रही है। ऐसी स्थिति में बीमाकर्ता अकेला ग्राहकों से सम्पर्क स्थापित करने में असमर्थ रहता है। फलतः बीमाकर्ता एवं बीमित के मध्य सम्बन्ध स्थापित करने के लिये किसी मध्यस्थ की आवश्यकता होती है। बीमाकर्ता और बीमित के मध्य मध्यस्थ का कार्य करने वाला व्यक्ति की बीमा अभिकर्ता (एजेन्ट) कहलाता है। बीमा एजेन्ट और एक सामान्य अभिकर्ता (एजेन्ट) में अन्तर है। अतः सर्वप्रथम हमें एजेन्ट का अध्ययन करना उचित होगा|



एजेन्ट का अर्थ (Meaning of Agent)


भारत में ऐजेन्ट की नियुक्ति उसके अधिकार तथा प्रधान एवं एजेन्ट के बीच सम्बन्धों का नियमन एजेन्सी कानून की अनुसार होता है। एजेन्सी विधि (कानून) के प्रावधान भारतीय अनुबन्ध अधिनियम 1872 की धारा 182 से 238 में दिये गये है। एजेन्सी सम्बन्धी प्रावधानों के अनुसार एजेन्सी, एजेन्ट एवं प्रधान (Principal) के बीच सम्बन्ध का नाम है।

धारा 182 के अनुसार ऐजेन्ट वह व्यक्ति है जिसे किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अपने किसी कार्य को करने अथवा किसी अन्य या तृतीय पक्षकार के साथ व्यवहार करने हेतु अपना प्रतिनिधित्व करने के लिय नियुक्त किया जाता है।

ऐजेन्ट जिस व्यक्ति या कार्य या प्रतिनिधित्व करता है उस व्यक्ति को प्रधान या नियोक्ता या मालिक कहते है। (धारा 182)

इस प्रकार स्पष्ट है कि एजेन्ट वह व्यक्ति होता है जिसे प्रधान द्वारा तृतीय पक्षकारों के साथ अपने (प्रधान) के अनुबंधात्मक सम्बन्ध स्थापित कराने के लिये नियक्त किया जाता है। इस प्रकार एजेन्ट प्रधान एवं तृतीय पक्षकारों के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है। एजेन्ट अपने मालिक (प्रधान) के सभी कार्य मालिक द्वारा प्रदत स्पष्ट या गर्भित अधिकारों एवं निर्देशों की सीमा के भीतर रहकर ही करता है।
 
 

एजेन्ट कौन नियुक्त कर सकता है?


एजेन्ट की नियुक्ति प्रधान द्वारा की जाती है किन्तु प्रधान केवल वही व्यक्ति हो सकता है जिसमें अनुबन्ध करने की क्षमता हो। अतः निम्नाकिन व्यक्ति एजेन्ट नियुक्ति कर सकते

(1) सभी व्यस्त व्यक्ति

(2) सभी स्वस्थ मस्तिष्क के व्यक्ति

(3) सभी ऐसे व्यक्ति जिन्हें देश के किसी भी कानून द्वारा अयोग्य घोषित नहीं किया गया है।

इसके अतिरिक्त एजेन्ट की नियुक्ति कानून द्वारा अधिकृत किसी भी व्यक्ति द्वारा की जा सकती है। इसी कारण निम्नांकित व्यक्ति द्वारा भी एजेन्ट की नियुक्ति की जा सकती है

(1) किसी भी निगम या कम्पनी द्वारा। 
 
(2) नैसर्गिक संरक्षक या न्यायालय द्वारा नियुक्त संरक्षक द्वारा नियुक्ति

(3) कई प्रधानों द्वारा संयुक्त रूप से एजेन्ट की नियुक्ति


कौन व्यक्ति एजेन्ट बन सकता है?


धारा 184 के अनुसार कोई भी व्यक्ति एजेन्ट बन सकता है। अतः कोई भी व्यक्ति चाह उसमें अनुबन्ध करने की क्षमता हो अथवा नहीं सभी एजेन्ट नियुक्त किये जा सकते है। अतः अव्यस्क, अस्वस्थ मस्तिष्क के व्यक्ति भी एजेन्ट नियुक्त किये जा सकते है। इसी कारण एजेन्सी की स्थापना करने के लिये ठहराव का होना पर्याप्त है। किन्तु किसी भी अवयस्क या अस्वस्थ मस्तिष्क के व्यक्ति को एजेन्ट नियुक्त करना जोखिम भरा कार्य है। ऐसा करने के निम्नाकित परिणाम हो सकते हैं

(1) ऐसा एजेन्ट अपने अनाधिकृत एवं गलत कार्यों के लिए प्रधान के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है।

(2) प्रधान ऐसे एजेन्ट के किये गये कार्यों के लिये तृतीय पक्षकार के प्रतिस्वयं उत्तरदायी होता है क्योंकि उसने प्रधान की ओर से कार्य किये है।


एजेन्ट और नौकर के मध्य अन्तर भारतीय उच्च न्यायालय के अनुसार ऐजेन्ट और नौकर के मध्य अन्तर है। ऐजेन्टे का पारिश्रमिक कमीशन या फीस के रूप में होता है. जबकि नौकर पारिश्रमिक वेतन के रूप में होता है। एजेन्ट कभी भी नौकर नहीं बन सकता, जबकि नौकर कई बार एजेन्ट हो सकता है। एजेन्ट नियोक्ता की ओर से तीसरे पक्षकार के साथ अनुबन्धात्मक सम्बन्ध स्थापित करता है लेकिन नौकर ऐसा नहीं करता है।

एक बीमा अभिकर्ता वह महत्वपूर्ण माध्यम है सम्पर्क सूत्र है जिसके द्वारा बीमित एवं बीमाकर्ता के मध्य सम्बन्ध स्थापित किये जाते है बीमा कम्पनियां के ऐसे कार्यकर्ता है जो जीवनों (बीमितों) को खोजते है. बीमा करवाने के लिये प्रोत्साहित करते हैं. उन्हें तैयार करके निगम तक ले जाते है, और बीमा सेवाऐं प्रदान करते है बीमा एजेन्ट के बिना बीमा कम्पनियों का कार्य ठप्प हो जाता है।

सामान्य अर्थ में बीमा एजेन्ट बीमाकर्ता द्वारा लाईसेन्स प्राप्त प्रतिनिधि है जो मूल रूप से बीमा के व्यवसाय को चालू रखने नवीनीकरण करने या पुनचालन से सम्बन्धित कार्य कमीशन या अन्य पुनःचालन पारिश्रमिक के बदले करने के लिये सहमत हो जाता है।



बीमा एजेन्ट की विशेषताएँ (Characteristics of Insurance Agent) 



1. बीमाकर्ता (बीमा कम्पनी) इसका नियोक्ता (मालिक) होता है।

2. बीमा एजेन्ट को बीमा अधिनियम की धारा 42 के अन्तर्गत बनाये गये नियमों के अधीन लाईसेन्स प्राप्त करना होता है। 

3. बीमा एजेन्ट बीमा व्यवसाय को प्राप्त करने के लिये प्रयास करना है।

4. बीमा एजेन्ट को कमीशन या अन्य आधार पर प्रतिफल का भुगतान किया जाता है। 

5. बीमा एजेन्ट बीमा व्यवसाय प्राप्त करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को कमीशन या पारिश्रमिक नहीं दे सकता है। यह कार्य एक अवैध कार्य है।



जीवनबीमा की योग्यताएँ (Qualification of Insurance Agent)


बीमा अधिनियम तथा बीमा एजेन्टस विनियम 2000 के अनुसार बीमा एजेन्ट का लाईसेन्स प्राप्त करने हेतु आवेदन करने वाले व्यक्ति में निम्नाकिंत योग्यताएँ होनी चाहिए

(1) वह भारत का नागरिक हो

(2) आवेदक कम से कम 18 वर्ष की आयु का हो अर्थात् व्यस्क हो।

(3) वह स्वस्थ मस्तिष्क का हो।

(4) वह किसी सक्षम न्यायालय द्वारा गबन धोखाधड़ी जालसाजी अपराध के लिए उकसाने या किसी ऐसे दण्डनीय अपराध के लिए दोषी नहीं पाया गया हो, किन्तु यदि किसी अपराधी को ऐसे किसी अपराध की सजा पूरी किये 5 वर्ष बीत गये है तो वह इस श्रेणी में नहीं आता है।

 
 

बीमा एजेन्ट के कार्य (Function of Insurance Agent)


एक एजेन्ट चाहे वह जीवन बीमा या सामान्य बीमा के क्षेत्र में व्यवसाय कर रहा हो उसे अपने नियोक्ता (बीमाकर्ता) के लिये निम्नलिखित कार्य अनिवार्यतः करने होते है

(1) प्रस्तावकों से सम्पर्क करना -

इस कार्य के तहत एजेन्ट ऐसे लोगों से सम्पर्क स्थापित करता है जिन्होंने या तो बिल्कुल ही बीमा नहीं करवाया है या जो पुनः बीमा कराने के इच्छुक हो इसके लिये वह उन्हें बीमा सम्बन्धी नयी-नयी जानकारियाँ देता है, शंका समाधान करता है. विभिन्न योजनाओं का महत्व समझाता है।


(2) प्रस्तावकों को प्रोत्साहित करना -

एजेन्ट अपनी बातों यथा योजना की जानकारी एवं प्रभावी तरीके से प्रस्तावक की आवश्यकतानुसार योजना को समझा कर उन्हें बीमा करवाने हेतु प्रेरित करता है। इसके लिये उसे बार बार प्रस्तावक से सम्पर्क भी करना पड़ता है।

(3) प्रस्ताव पत्र की पूर्ति करना :

एजेन्ट प्रस्तावक को बीमा प्रस्ताव पत्र देता है तथा उसके प्रत्येक बिन्दू को स्पष्ट कर सही ढंग से पूरा करने में मदद करता है जो बातें प्रस्तावक को समझ में नहीं आती, अभिकर्ता को स्पष्टतः समझाना पड़ता है।

(4) आवश्यक प्रपत्र तैयार करना : 

प्रस्तावक को प्रस्ताव के साथ आवश्यक प्रपत्र यथा जन्म प्रमाण पत्र, चिकित्सा प्रमाण पत्र भी देना पड़ता है। इसकी व्यवस्था में भी एजेन्ट उसकी सहायता करता है।


(5) प्रीमियम प्राप्त कर प्रस्ताव पत्र जमा कराना।


(6) बीमितों या उनके उत्तराधिकारियों को बीमा दारों के भुगतान प्राप्त करने की जानकारी देना।

(7) बीमा प्राधिकरण द्वारा अधिसूचित बातों / निर्देशों का पालन करना।

(8) प्रस्तावकों को बीमापत्र के नामांकन हस्तांकन या नवीनीकरण के सम्बन्ध में परामर्श देना।

(9) दावा भुगतान, बीमापत्र के खो जाने नष्ट होने आदि कार्यों में सहायता करना।


(10) जीवन बीमा निगम, साधारण बीमा निगम अथवा बीमकर्ता के विकास कार्यों, कार्यक्रमों को क्रियान्वित करना।




बीमा ऐजेन्ट के निषिध कर्तव्य एक बीमा ऐजेन्ट निम्नलिखित कार्य नहीं कर सकता है 

(1) बीमाकर्ता अथवा निगम के लिए किसी भी प्रकार की धनराशि वसूल करना।

(2) बीमा के लिए कमीशन या छूट प्रदान करना।

(3) बीमाकर्ता की ओर से किसी जोखिम को स्वीकार करना।

निगम अथवा बीमाकर्ता की आज्ञा के बिना किसी प्रकार का विज्ञापन या पत्र पत्रिका न तो छपवा सकता है और न ही बाँट सकता है।

किसी दूसरे बीमा एजेन्ट के कार्यों में हस्तक्षेप करना या उसके प्रस्तावकों को बहलाना, फुसलाना आदि।

(6) बीमकर्ता द्वारा प्राप्त वैध लाईसेन्स के बिना अथवा लाईसेन्स की अवधि समाप्त होने के बाद कार्य नहीं कर सकता।

(7) किसी अन्य बीमाकर्ता के क्षेत्र में जाकर कार्यवाही करना।








Arjun Singh

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अर्जुन सिंह है, मैं अभी बी.कॉम से ग्रेजुएशन कर रहा हूं । मुझे लेख लिखना बहुत पसंद है इसलिय में ये ब्लॉग बनाया है, मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद!

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